NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 17 असगर-वजाहत Sher, Pehchan, Chaar haath, Sajha – Free PDF download
CBSE Class 12 Hindi Antra
NCERT Solutions
Chapter 17 असगर-वजाहत Sher, Pehchan, Chaar haath, Sajha
Question 1: लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में क्यों चली जा रही थी?
ANSWER: लोमड़ी बेरोज़गार थी। उसे पता चला था कि शेर के मुँह में रोज़गार कार्यालय है, जहाँ उसे नौकरी मिल सकती है। अतः वह नौकरी की अर्जी जमा कराने के लिए स्वेच्छा से शेर के मुँह में चली जा रही थी।
Question 2: कहानी में लेखक ने शेर को किस बात का प्रतीक बताया है?
ANSWER: कहानी में लेखक ने शेर को सत्ता का प्रतीक बताया है। यह सत्ता आम जनता को धोखा देकर तथा विभिन्न प्रकार के लालच देकर अपनी अँगुलियों में नचाने का प्रयास करती है।
Question 3: शेर के मुँह और रोज़गार के दफ़्तर के बीच क्या अंतर है?
ANSWER: शेर कs मुँह में गए जानवर कभी लौटकर नहीं आते हैं। वह मुँह में समाकर मर जाते हैं या उनका अस्तित्व नष्ट हो जाता है। रोज़गार के दफ़्तर में ऐसी स्थिति नहीं होती है। यहाँ पर लोग नौकरी पाने की आशा में जाते हैं। वे यहाँ के चक्कर लगाते हुए थक जाते हैं लेकिन उन्हें नौकरी कभी नहीं मिलती। बस उनका अस्तित्व समाप्त नहीं होता है। शेर के मुँह के समान रोज़गार का दफ़्त्तर लोगों को निगलता नहीं है। बस उनकी आशा समाप्त कर देता है।
Question 4: ‘प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण है विश्वास’ कहानी के आधार पर टिप्पणी कीजिए।
ANSWER: यदि लोगों को किसी बात पर विश्वास है, तो वह प्रमाण को देखते नहीं है। बस विश्वास के सहारे ही खाई में गिरने को तैयार हो जाते हैं। शेर के मुँह के बाहर रोज़गार का दफ़्तर देखते हुए भी अनेदखा कर देते हैं। उन्हें बस इस बात पर विश्वास है कि शेर के मुँह में जाकर ही उन्हें हर प्रकार का सुख प्राप्त होगा। अतः वे प्रमाण को भी अनदेखा कर देते हैं। इस प्रकार विश्वास की डोर पकड़कर एक साथ अनेक लोग खाई में गिर जाते हैं। यह बहुत ही खराब स्थिति होती है। नेताओं द्वारा चुनाव जीतने से पहले आम जनता को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जाते हैं। उन्हें विश्वास दिलाया जाता है कि वह उनका पूरा ख्याल रखेंगे। जनता उस झाँसे को सच मान लेती है और अपना मत देकर उन्हें विजयी बना देती है। इस प्रकार वे विश्वास में अपना शोषण करवाती है और गलत उम्मीदवार को चुन लेती है। उम्मीदवार भी अंत तक उन्हें विश्वास के धोखे में रखता है और उनका जमकर शोषण करता है।
Question 1: राजा ने जनता को हुक्म क्यों दिया कि सब लोग अपनी आँखें बंद कर लें?
ANSWER: राजा ने जनता को ऐसा हुक्म इसलिए दिया ताकि लोग राजा के अत्याचार, शोषण तथा दोहन के प्रति उपेक्षित हो जाएँ। इस तरह वह लोगों का मनचाहा शोषण कर उनसे अपने कार्य करवाता रहे। इस तरह वह लोगों का मनचाहा प्रयोग कर रहा था। दूसरे वह लोगों की एकता की शक्ति को समाप्त कर रहा था। यदि लोगों की आँखें खुली रहती, तो शायद वे अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाते और अशांति व्याप्त हो जाती। शांति के बहाने से वह उन्हें सत्य देखने से रोक रहा था।
Question 2: आँखें बंद रखने और आँखें खोलकर देखने के क्या परिणाम निकले?
ANSWER: आखें बंद रखने से लोगों ने लंबे समय तक अपना शोषण करवाया। उन्होंने आँखें बंद करके राजा को उनका शोषण करने की पूरी आज़ादी दे दी। उत्पादन, क्षमता का विकास हुआ तथा एकाग्रता अवश्य बड़ी पर वह मात्र भ्रम थी। आखें खोलकर देखने से उन्हें समझ में आया कि वह अभी तक क्या कर रहे थे। जिस विकास और प्रगति के नाम पर वे ठगे जा रहे थे, आँखें खोलने पर उन्हें पता चला कि इसका लाभ तो केवल राजा ही उठा रहा था।
Question 3: राजा ने कौन-कौन से हुक्म निकाले? सूची बनाइए और इनके निहितार्थ लिखिए।
ANSWER: राजा ने निम्नलखित हुक्म निकाले-
(क) प्रजा अपनी आँखें बंद कर ले।– इसमें छिपा निहितार्थ है कि लोग राजा के अत्याचार, शोषण तथा दोहन के प्रति उपेक्षित हो जाएँ। इस तरह वह लोगों का मनचाहा शोषण कर उनसे अपने कार्य करवाता रहे।
(ख) प्रजा अपने कानों में पिघलता सीसा डलवा दे।– इसमें छिपा निहितार्थ है कि लोगों द्वारा सुनने की क्षमता खत्म करके अपने विरोधियों को चुप रख सके। लोग राजा के विरुद्ध सुन ही नहीं पाएँगे, तो वह उसका विरोध कैसे करेंगे।
(ग) प्रजा अपने मुँह को सिलवा ले।– इसमें छिपा निहितार्थ है कि लोगों के विरोध करने की शक्ति को ही समाप्त कर देना।
Question 4: जनता राजा की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर ले तो उसका राज्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
ANSWER: जनता राजा की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर ले तो उसका राज्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। राजा तानाशाही हो जाएगा। इससे उनकी प्रगति तथा विकास होगा ही नहीं। वे राजा की आज्ञा के गुलाम बनकर रह जाएँगे। उनकी मेहनत पर राजा अधिकार कर लेगा और उन्हें अपना गुलाम बना देगा।
Question 5: खैराती, रामू और छिद्दू ने जब आँखें खोली तो उन्हें सामने राजा ही क्यों दिखाई दिया?
ANSWER: इतने समय तक राजा के कहने पर अँधे, गूंगे तथा बहरे बनने से प्रजा ने अपना अस्तित्व ही समाप्त कर दिया। अब वे राजा की कठपुतली थे। यदि वे अपनी मर्जी से देखना भी चाहते थे, तो उनके पास अब कुछ शेष नहीं था। वे अपनी पहचान खो चुके थे। अतः राजा के अतिरिक्त उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता है। राजा उनकी पहचान बन जाता है। बस उसके आदेश का पालन करना ही उनके जीवन का उद्देश्य बन जाता है। अतः जब वे आँखें खोलकर देखने का प्रयास करते हैं, तो मात्र राजा ही दिखाई देता है।
Question 1: मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मिल मालिक ने क्या किया और उसका क्या परिणाम निकला?
ANSWER: मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मालिक ने निम्नलिखित कार्य किए तथा उनके निम्नलिखित परिणाम निकले-
(क) मिल मालिक ने कई विख्यात वैज्ञानिकों को कई वर्षों तक मोटी तनख्वाह पर रखा। लेकिन उसे इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
(ख) उसने मृत व्यक्तियों के हाथ मंगवाकर मज़दूरों पर लगवाए लेकिन वे व्यर्थ हुआ।
(ग) उसने लकड़ी के हाथ बनवाकर मज़दूरों पर लगवाए लेकिन इससे कुछ न मिला।
(घ) उसने लोहे के हाथ बनवाकर मज़दूरों पर लगवाए लेकिन इससे मज़दूरों को जीवन से हाथ धोना पड़ा।
Question 2: चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में क्या बात आई?
ANSWER: चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में आई कि यह प्रयास व्यर्थ है। इससे अच्छा है कि मज़दूरों की मज़दूरी कम करके नए मज़दूर इसी मज़दूरी में रख लो और अपना कार्य तेज़ी से करवाओ।
Question 1: साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को क्या बताया?
ANSWER: साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को बताया कि वह उसके खेतों की रक्षा करेगा। बाद में दोनों फसल को आधा-आधा बाँट लेगें। उसने बताया कि उसके साथ साझा खेती करने का यह फायदा होगा कि जंगल के छोटे जानवरों से उसका खेत सुरक्षित रहेगा।
Question 2: हाथी ने खेती की रखवाली के लिए क्या घोषणा की?
ANSWER: हाथी ने खेती की रखवाली के लिए जंगल में यह घोषणा की कि किसान की खेती में उसका भी साझा है। किसी भी जानवर ने उसकी इस घोषणा की अनदेखी कि तो उसके लिए यह उचित नहीं होगा।
Question 3: आधी-आधी फसल हाथी ने किस तरह बाँटी?
ANSWER: हाथी ने किसान को कहा कि हम मिलकर खाएँगे। साझे का अर्थ यह नहीं है कि वह फसल को आधा-आधा बाँट ले। साझे का अर्थ है कि दोनों एक गन्ने को मिलकर खाएँगे। किसान ने विवश होकर हाथी के साथ गन्ना आरंभ किया, तो वह खिंचते हुए हाथी के मुँह की ओर जाने लगा। उसने आखिरकार गन्ना छोड़ दिया। हाथी ने किसान द्वारा गन्ना छोड़ते ही गन्ने को पूरा खा लिया।
Question 1: इस कहानी में हमारी व्यवस्था पर जो व्यंग्य किया गया है, उसे स्पष्ट कीजिए।
ANSWER: इस कहानी में लेखक ने हमारी शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया है। शेर के माध्यम से उसने यह व्यंग्य किया है। पहली बार में कहानी स्पष्ट नहीं हो पाती है। जब हम गंभीरता से इसे पुनः पढ़ते हैं, तो समझ आता है कि लेखक ने शासन व्यवस्था की खिल्ली उड़ाई है। उसे पढ़कर हँसने लगते हैं। शेर का मुँह उस शासन व्यवस्था को दर्शाता है, जिसमें लोग जाकर कभी लौट नहीं पाते हैं। वे मुँह में समाकर मर जाते हैं या उनका अस्तित्व नष्ट हो जाता है। यहाँ पर बस विश्वास के सहारे ही खाई में गिरने को तैयार हो जाते हैं। नेताओं द्वारा चुनाव जीतने से पहले आम जनता को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिए जाते हैं। उन्हें विश्वास दिलाया जाता है कि वह उनका पूरा ख्याल रखेंगे। जनता उस झाँसे को सच मान लेती है और अपना मत देकर उन्हें विजयी बना देती है। इस प्रकार वे विश्वास में अपना शोषण करवाती है और गलत उम्मीदवार को चुन लेती है। उम्मीदवार भी अंत तक उन्हें विश्वास के धोखे में रखता है और उनका जमकर शोषण करता है।
Question 2: यदि आपके भी सींग निकल आते तो आप क्या करते?
ANSWER: यदि मेरे सींग निकल आते तो मैं डॉक्टर के पास जाता और उसके उगने का कारण पूछता। उसके बाद प्रयास करता कि इसका इलाज करवाया जा सके ताकि समय रहते मैं इस समस्या से मुक्ति पा जाऊँ।
Question 1: गांधी जी के तीनों बंदर आँख, कान, मुँह बंद करते थे किंतु उनका उद्देश्य अलग था कि वे बुरा न देखेंगे, न सुनेंगे, न बोलेंगे। यहाँ राजा ने अपने लाभ के लिए या राज्य की प्रगति के लिए ऐसा किया। दोनों की तुलना कीजिए।
ANSWER: गांधी जी के तीनों बंदरों का उद्देश्य बहुत ही अलग और शुद्ध है। वे आँख बंद किए रहते हैं ताकि बुराई को न देखें। बुराई को देखकर मनुष्य स्वयं बुराई करने के लिए प्रेरित होता है। अतः इस तरह बुराई की तरफ मनुष्य को जाने से रोका गया है। दूसरा बंदर बुराई न सुनने के लिए कहता है। दूसरे की बुराई सुनने वाला व्यक्ति अच्छा नहीं होता है। दूसरे की बुराई सुनकर उसके मन में भी बुराई आ सकती है। अतः उसे ऐसा करने से रोका गया है। इसी तरह तीसरा बंदर मुँह बंदर करके बताना चाहता है कि हम बुराई नहीं बोलेंगे। इस तरह बुराई को मुँह से नहीं निकालने के लिए प्रेरित किया गया है। इस तरह मनुष्य को पवित्रता की ओर बढ़ाया गया है। राजा द्वारा प्रजा की आँखें बंद करवाना, कानों में सीसा डलवाना तथा मुँह को सिलवा देना प्रतीक है कि प्रजा को इस कार्य के लिए दबाव बनाया जा रहा है। यह कार्य प्रजा अपनी स्वेच्छा से और अपनी प्रगति के लिए नहीं कर रही है। यह राजा द्वारा उन्हें बहकाकर या जबरदस्ती करवाया जा रहा है। इसमें प्रजा का नुकसान है। उसकी खुशहाली और प्रगति की बातें मात्र झूठ और धोखा है। अतः दोनों में बहुत अंतर है।
Question 2: भारतेंदु हरिशचंद्र का ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ नाटक देखिए और उस राजा से ‘पहचान’ के राजा की तुलना कीजिए।
ANSWER: भारतेंदु हरिशचंद्र द्वारा रचित नाटक ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ नाटक में राजा निरा मूर्ख है। उसके पास ऐसी बुद्धि ही नहीं है कि वह प्रजा की सोच को बंद कर सके। वह अपने अजीब फैसलों से जनता को परेशान करता रहता है। उसके यहाँ रबड़ी से लेकर सोना तक एक आना सेर मिलता है। अर्थात वह कीमती और मूल्यविहिन वस्तुओं की कीमत एक-सी रखता है। उसे प्रजा की प्रगति और विकास से कोई सरोकार नहीं है। न्याय के नाम पर किसी ओर के स्थान पर किसी दूसरे को फांसी चढ़ा देता है। यहाँ तक की अंत में अपनी मूर्ख बुद्धि के कारण स्वयं ही फांसी पर लटक जाता है। इस पाठ का राजा बहुत बुद्धिमान है। वह जानता है कि जनता को अपने फायदे के लिए कैसे गुलाम बनाया जा सकता है? अपनी शक्ति का कैसे गलत फायदा उठाया जा सकता है? वह जनता को विवश कर देता है कि प्रगति तथा विकास के लिए अपनी आँख, कान तथा मुँह को बंद करके रखे। वह जनता का फायदा भी उठता है, उन्हें पता भी नहीं चलने देता। अतः यह राजा अधिक चतुर है।
Question 1: आप यदि मिल मालिक होते तो उत्पादन दो गुना करने के लिए क्या करते?
ANSWER: यदि मैं मिल मालिक होता तो उत्पादन दो गुना बढ़ाने के लिए मज़दूरों को बोनस देता। ऐसे उपहार रखता, जिससे लोगों को काम करने के लिए प्रोत्साहन मिले। उनको ओवर टाइम देता। इसके अतिरिक्त उनकी हर सुख-सुविधा का ध्यान रखता। मुझे यकीन है कि इसके बाद मेरा उत्पादन दो गुना नहीं बल्कि चार गुना बढ़ जाता।
Question 1: पंचतंत्र की कथाएँ भी पढ़िए।
ANSWER: यह पुस्तक विद्यार्थियों को विद्यालय के पुस्कालय से सरलतापूर्वक मिल जाएगी। वहाँ से लेकर इन्हें पढ़िए।
Question 2: ‘भेड़’ और ‘भेड़िए’ हरिशंकर परसाई की रचना पढ़िए।
ANSWER: यह पुस्तक विद्यार्थियों को विद्यालय के पुस्कालय से सरलतापूर्वक मिल जाएगी। वहाँ से लेकर इन्हें पढ़िए।
Question 3: कहानी और लघुकथा में अंतर जानिए।
ANSWER: कहानी और लघुकथा में अंतर इस प्रकार है-
(क) कहानी के अंदर आरंभ, मध्य तथा अंत होता है। लघुकथा में ऐसा नहीं होता है।
(ख) कहानी में कथा का गठन तथा पात्रों का चरित्र-चित्रण होता है। लघुकथा में ऐसा नहीं होता है।
(ग) कहानी का आकार लघुकथा से बड़ा होता है।
(घ) लघुकथा संक्षिप्त होती है। कहानी लघुकथा की तुलना में बहुत बड़ी होती है।