NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 15 फणीश्वरनाथ-रेणु Sambadiya – Free PDF download
Chapter Name | फणीश्वरनाथ-रेणु Sambadiya |
Chapter | Chapter 15 |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi Antra NCERT Solutions |
TextBook | NCERT |
Board | CBSE / State Boards |
Category | CBSE NCERT Solutions |
CBSE Class 12 Hindi Antra
NCERT Solutions
Chapter 15 फणीश्वरनाथ-रेणु Sambadiya
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
(क) दिए गए संवाद को जैसे है, वैसा ही बोलना पड़ता है।
(ख) संवाद के साथ भावों को भी वैसे का वैसा बताना पड़ता है।
(ग) संवाद को समय पर पहुँचाना एक संवदिया की विशेषता होती है।
(घ) संवदिया को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। उसे संवाद को भावनाओं से अलग रखना चाहिए।
(ङ) उसे मार्ग का ज्ञान होना चाहिए।
(च) संवाद को पहुँचाने में गोपनियता बहुत आवश्यक है।
गाँववालों के मन में अवधारणा है कि संवदिया एक कामचोर, निठल्ला तथा पेटू आदमी होता है, जिसके पास कोई काम नहीं होता, वह संवदिया बन जाता है।
बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में किस प्रकार की आशंका हुई?
बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश क्यों भेजना चाहती थी?
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है?
संवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें क्यों छलछला आईं?
बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं सुना सका?
‘संवदिया डटकर खाता है और अफर कर सोता है’ से क्या आशय है?
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने क्या संकल्प लिया?
इन शब्दों का अर्थ समझिए-
काबुली-कायदा ………………………………………………………………………………………….
रोम-रोम कलपने लगा ………………………………………………………………………………….
अगहनी धान ……………………………………………………………………………………………..
इसलिए यह कहावत बन कई काबुली-कायदा।
रोम-रोम कलपने लगा- इसका अर्थ है कि किसी बात से परेशान होकर रोम-रोम दुख से परेशान होने लगा।
अगहनी धान- अगहन मास में होने वाले धान को अगहनी धान कहा गया है। यह दिसंबर के आस-पास का समय माना जाता है।
पाठ से प्रश्नवाचक वाक्यों को छाँटिए और संदर्भ के साथ उन पर टिप्पणी लिखिए।
कहाँ गए वे दिन?- यह वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य है। इसमें हरगोबिन बड़ी हवेली की दशा को देखता है और सोचता है। एक ऐसा था, जब बड़ी हवेली सच में अपने नाम के अनुरूप थी। बड़े भैया के समय में बड़ी हवेली की रौनक देखने योग्य थी। यह हवेली नौकर-नौकरानियों से भरे पड़े थे। बड़ी बहुरिया रानी की तरह राज किया करती थी। अब ऐसे दिन नहीं रहे हैं। वह स्वयं एक नौकरी के समान जीवन व्यतीत कर रही हैं। तब अन्यास ही उसके मुँह से यह वाक्य निकल पड़ता है।
और कितना कड़ा करूँ दिल?- यह वाक्य भी प्रश्न को दर्शाता है। बड़ी बहुरिया अपनी दशा पर यह प्रश्न कर बैठती है। खाने के लिए भोजन नहीं है और फिर भी यह आशा करना कि सब ठीक हो जाए। बड़ी बहुरिया जब परिस्थिति से तंग आ जाती है, तब हरगोबिन संवदिया को बुलवाती है। हरगोबिन द्वारा बड़ी बहुरिया से पूछा जाता है कि क्या संदेश भेजना है। वह उसे बताना चाहती है मगर बताने से पहले ही रो पड़ती है। ऐसे में बड़ी बहुरिया को समझाने के लिए हरगोबिन कहता है कि दिल कड़ा करो। उसके इस कथन पर बड़ी बहुरिया बोल पड़ती है कि और कितना कड़ा करूँ दिल?
बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ?- यह प्रश्न भी बड़ी बहुरिया करती है। वह इसी आशा में जी रही है कि दिन सुधरेगें। जैसे-जैसे समय बीत रहा है दशा खराब होती जा रही है। अब बथुआ का साग ही बड़ी बहुरिया को खाना पड़ रहा है। तब वह कह उठती है कि मैं बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ?
किसके भरोसे यहाँ रह ही हूँ?- यह प्रश्न भी बड़ी बहुरिया स्वयं से करती है। वह जानती है कि उनके पति के बाद अब यहाँ उसका कुछ नहीं रह गया है। अतः किसी से यह आशा करना कि उसे कुछ समझे गलत होगा।
इन पंक्तियों की व्याख्या कीजिए-
(क) बड़ी हवेली अब नाममात्र की ही बड़ी हवेली है।
(ख) हरगोबिन ने देखी अपनी आँखों से द्रौपदी की चीरहरण लीला।
(ग) बथुआ साग खाकर कब तक जीऊँ?
(घ) किस मुँह से वह ऐसा संवाद सुनाएगा।
(क) प्रस्तुत पंक्ति में हरगोबिन बड़ी हवेली की तुलना उसके बीते समय से करता है। जब इस हवेली के ठाट-बाट ही कुछ थे। एक समय था जब बड़ी हवेली का गाँव में दबदबा हुआ करता था। उसकी पहचान थी। बड़े भैया के मरने के बाद सब ठाट-बाट चला गया। बाकी तीन भाइयों ने हवेली का बँटवारा कर दिया और अब यहाँ कोई नहीं रहता है। अब यह नाममात्र की हवेली रह गई है। अब इसकी पहले वाली पहचान नहीं रही है।
(ख) प्रस्तुत पंक्ति में हरगोबिन उस समय का वर्णन करता है, जब हवेली की रानी बड़ी बहुरिया की साड़ी तक उनके तीन देवरों ने तीन टुकड़े करके बाँट लिए थे। बड़ी बहुरिया के पहने हुए गहने तक नोचकर आपस में बाँट लिए थे। हरगोबिन ने बड़ी बहुरिया के साथ वह अन्याय होते देखा था। उस अन्याय को दर्शाने के लिए हरगोबिन ने उसकी तुलना द्रौपदी के चीरहरण लीला से की है। बड़ी बहुरिया के साथ जो किया गया था, वह द्रौपदी के चीरहरण से कम भयानक नहीं था।
(ग) यह पंक्ति बड़ी बहुरिया तब कहती है, जब वह अपनी माँ को हरगोबिन के माध्यम से अपनी व्यथा सुनाने के लिए भेजती है। वह अपनी माली स्थिति से परेशान है। घर में खाने के लिए कुछ नहीं है। जो भी खाती है, उधार ही खाती है। बथुआ ऐसी हरी सब्जी होता है, जो खेतों तथा खाली स्थानों में यूहीं उग जाया करती है। बड़ी बहुरिया उसे खाकर ही जीवन व्यतीत करती है। अपनी माँ को अपने बुरे हाल दर्शाने के लिए वह यह कहती है कि बथुआ साग खाकर कब तक जीऊँ? अर्थात अब स्थिति यह है कि मेरे पास खाने के लिए यही बथुआ का साग बचा है।
(घ) यह पंक्ति हरगोबिन अपने मन में सोचता है। उसने बड़ी बहुरिया के वे दिन भी देखे थे, जब वह हाथों में मेंहदी लगाए हुए कई लोगों का घर चलाया करती थी। उस बड़ी बहुरिया के पति के मरते ही ऐसी गति हुई कि सब देखते रह गए। देवरों ने सब हड़प लिया। अब उस बड़ी बहुरिया की दशा बहुत ही खराब है। उनके दर्द भरे संवाद को सुनकर हरगोबिन कष्ट में था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि बड़ी बहुरिया की माँ को ऐसा संवाद कैसे सुनाएगा। उनकी माँ को यह सुनकर दुख नहीं होगा कि जहाँ बेटी को रानी बनाकर भेजा, वहाँ उसे एक समय का भोजन भी नहीं मिल पा रहा है। यह सोचकर हरगोबिन दुविधा में पड़ गया।
संवदिया की भूमिका आपको मिली तो आप क्या करेंगे? संवदिया बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है?
संवदिया बनने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना पड़ता है-
(क) दिए गए संवाद को याद रखना पड़ता है। यदि वह संवाद भूल गया, तो यह उसके पेशे के साथ अन्याय होगा।
(ख) संवाद के साथ भावों को भी वैसे का वैसा बोलना पड़ता है। एक संवाद के साथ भाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
(ग) संवाद पहुँचाने के साथ-साथ यह ध्यान में रखना होता कि संवाद समय रहते पहुँचे। यदि संवाद पहुँचने में देर हो जाए, तो अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
(घ) संवदिया को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। उसे संवाद को भावनाओं से अलग रखना चाहिए। यदि वह अपने कार्य में भावनाओं को लाएगा, तो अपने कार्य के साथ न्याय नहीं कर पाएगा।
(ङ) उसे मार्ग का ज्ञान होना चाहिए। यदि उसे मार्ग का ज्ञान नहीं है, तो वह समय पर संवाद नहीं पहुँचा पाएगा।
(च) सबसे महत्वपूर्ण बात कि यह संवाद गुप्त रहे। इसकी खबर उसकी छाया तक को नहीं होनी चाहिए।
इस कहानी का नाट्य रूपांतरण कर विद्यालय के मंच पर प्रस्तुत कीजिए।
विद्यार्थी यह कार्य स्वयं करें।