NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 12 रामचंद्र-शुक्ल Premdhan ki Chayya Smriti – Free PDF download
Chapter Name | रामचंद्र-शुक्ल Premdhan ki Chayya Smriti |
Chapter | Chapter 12 |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi Antra NCERT Solutions |
TextBook | NCERT |
Board | CBSE / State Boards |
Category | CBSE NCERT Solutions |
CBSE Class 12 Hindi Antra
NCERT Solutions
Chapter 12 रामचंद्र-शुक्ल Premdhan ki Chayya Smriti
लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
लेखक ने अपने पिता जी की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है-
• उनके पिता फ़ारसी भाषा के अच्छे विद्वान थे।
• वे प्राचीन हिंदी भाषा के प्रशंसक थे।
• वे फ़ारसी भाषा में लिखी उक्तियों के साथ हिन्दी भाषा में लिखी गई उक्तियों को मिलाने के शौकीन थे।
• वे प्रायः रात में सारे परिवार को रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका का बड़ा चित्रात्मक ढ़ंग से वर्णन करके सुनाते थे।
• भारतेंदु के नाटक उन्हें बहुत प्रिय थे।
बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में कैसी भावना जगी रहती थी?
उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ की पहली झलक लेखक ने किस प्रकार देखी?
लेखक का हिंदी-साहित्य के प्रति झुकाव किस प्रकार बढ़ता गया?
‘निस्संदेह’ शब्द को लेकर लेखक ने किस प्रसंग का ज़िक्र किया है?
पाठ में कुछ रोचक घटनाओं का उल्लेख है। ऐसी तीन घटनाएँ चुनकर उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
(क) एक बार एक प्रसिद्ध कवि वामनाचार्यगिरि चौधरी साहब से मिलने आए। वे मार्ग पर चलते हुए चौधरी साहब पर आधारित कविता का निर्माण कर रहे थे। कविता के आखिर अंक पर वह अटके हुए थे तभी उन्हें ऊपरी बालकनी में चौधरी साहब खड़े दिखाई दिए। उन्हें देखते ही वह तपाक से ज़ोर से बोल पड़े “खंभा टेकि खड़ी जैसे नारि मुगलाने की।”
(ख) ऐसे ही एक दिन चौधरी साहब बहुत से लोगों के साथ बैठे हुए थे। वहाँ से एक पंडित जी गुजर रहे थे, सो वह भी इस मंडली में आ गए। चौधरी साहब ने उनका हालचाल पूछा “और क्या हाल है?” पंडित जी बोल पड़े- “कुछ नहीं, आज मेरा एकदशी का वर्त है। अतः कुछ जल खाया है और बस यूहीं चले आ रहे हैं।” उनका इतना कहना था कि सब पूछ पड़े “जल ही खाया है या कुछ फलाहार भी पिया है।”
(ग) चौधरी साहब के पास एक दिन उनके मित्र मिलने के लिए पहुँचे। चौधरी साहब से वह अचानक प्रश्न पूछ बैठे- ” साहब में अकसर ‘घनचक्कर’ शब्द सुना करता हूँ आपको मालूम है इसका क्या अर्थ है?” बस क्या था चौधरी साहब बोल पड़े “इसमें कौन सी कठिन बात है? रात के समय एक कागज़ कलम लो। उसमें सुबह से लेकर रात तक का जो-जो काम किया है, उसे लिखिए और पढ़ लीजिए।”
“इस पुरातत्व की दृष्टि में प्रेम और कुतूहल का अद्भुत मिश्रण रहता था।” यह कथन किसके संदर्भ में कहा गया है और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
प्रस्तुत संस्मरण में लेखक ने चौधरी साहब के व्यक्तित्व के किन-किन पहलुओं को उजागर किया है?
1. हिंदी प्रेमी- चौधरी साहब हिंदी के कवि थे। वह ‘प्रेमघन’ उपनाम से लिखा करते थे। हिंदी से उनका प्रेम इन बातों से स्पष्ट हो जाता है। लेखक को हिंदी साहित्य की ओर ले जाने में उनका बड़ा योगदान था।
2. रियासती व्यक्ति- चौधरी साहब एक रियासत और तबीयतदारी व्यक्ति थे। उनके यहाँ हर उत्सव तथा अवसर में नाचरंग का आयोजन होता है। यह उनकी रईसी का प्रतीक था।
3. आकर्षक व्यक्तित्व- चौधरी साहब का व्यक्तित्व बड़ा आकर्षक था। लंबा कद तथा कंधे तक लटकते बाल उनकी पहचान थे।
4. हँसमुख व्यक्ति- चौधरी साहब हँसमुख व्यक्ति थे। बात-बात पर लोगों को गुदगुदा देते थे।
समवयस्क हिंदी प्रेमियों की मंडली में कौन-कौन से लेखक मुख्य थे?
‘भारतेंदु जी के मकान के नीचे का यह ह्दय परिचय बहुत शीघ्र गहरी मैत्री में परिणत हो गया।’- कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
हिंदी-उर्दू के विषय में लेखक के विचारों को देखिए। आप इन दोनों को एक ही भाषा की दो शैलियाँ मानते हैं या भिन्न भाषाएँ?
चौधरी जी के व्यक्तित्व को बताने के लिए पाठ में कुछ मज़ेदार वाक्य आए हैं- उन्हें छाँटकर उनका संदर्भ लिखिए।
(क) इस पुरातत्व की दृष्टि में प्रेम और कुतूहल का एक अद्भुत मिश्रण रहता था।– प्रस्तुत कथन लेखक ने चौधरी जी के व्यक्तित्व को दर्शाने हेतु लिखे हैं। लेखक के अनुसार चौधरी जी उनकी मंडली में सबसे पुराने थे। अतः वे पुराने (पुरातत्व) की संज्ञा पाए हुए थे। दूसरे वे स्नेही थे। अपनी मंडली के हर सदस्य से प्रेम करते थे। उनका व्यक्तित्व कुछ ऐसा भी था कि सब उन्हें कुतूहल की दृष्टि से देखा करते थे। उन्हें जानने के प्रयास में सबके अंदर जिज्ञासा विद्यमान रहती थी।
(ख) उनकी हर एक अदा से रियासत और तबीयतदारी टपकती थी– प्रस्तुत कथन के अनुसार चौधरी साहब रईस परिवार से संबंधित थे। उनके स्वभाव में रईसी रच-बच गई थी। उनकी रईसी उनके हर हाव-भाव से दिखाई देती थी। उन्हें अनज़ान व्यक्ति भी बता सकता था कि ये धनी परिवार के हैं।
(ग) जो बातें उनके मुँह से निकलती थीं, उनमें एक विलक्षण वक्रता रहती थी।– अर्थात चौधरी साहब कुछ भी बोलते थे, उसमें कुटिलता का समावेश विद्यमान रहता था। वह सीधी बात बोलना नहीं जानते थे।
(घ) खंभा टेकि खड़ी जैसे नारि मुगलाने की। प्रस्तुत पंक्तियाँ चौधरी स्वभाव के बाहरी वेश को इंगित करके बोली गई है। चौधरी साहब के बाल कंधे तक लटके रहते थे। उस समय इस प्रकार की केशसज्जा पुरुषों की नहीं हुआ करती थी। वामनाचार्यगिरी ने उन पर व्यंग्य करते हुए कहा था कि खंभे पर टेक लगाकर चौधरी ऐसे खड़े हैं मानो कोई मुस्लिम स्त्री खड़ी हो।
पाठ की शैली की रोचकता पर टिप्पणी कीजिए।
भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखकों के नाम और उनकी प्रमुख रचनाओं की सूची बनाकर स्पष्ट कीजिए कि आधुनिक हिंदी गद्य के विकास में इन लेखकों का क्या योगदान रहा?
उत्तर- भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखकों के नाम इस प्रकार हैं-
लेखकों की सूची | उनकी रचनाएँ | |
प्रतापनारायण मिश्र | नाटक: भारतदुर्दशा, कलिप्रभाव, जुआरी खुआरी, कलिकौतुक, गोसकट आदि। गद्य कृतियाँ: पंचामृत, शैव सर्वस्व, चरिताष्टक आदि। कविता: दंगल खंड, मन की लहर, ब्रैडला स्वागत। | |
अम्बिका दत्त व्यास | अवतार मीमांसा (ग्रंथ), पावन पचासा, बिहारी बिहार, चांद की रात। | |
राधाचरण गोस्वामी | ‘बूढ़े मुह मुंहांसे, लोग देखें तमासे’ तथा ‘तन मन धन श्रीगुसाईं जी के अर्पण’, ‘सौदामिनी’, ‘यमलोक की यात्रा’, ‘विदेश यात्रा विचार’ और ‘विधवा विवाह’। | ये हिन्दी भाषा के पक्षधर रहे। इन्होंने उसके उत्थान के लिए बहुत प्रयास किए। इन्होंने अपनी अलग सोच तथा साहस के कारण हिन्दी को अलग मुकाम दिया। |
कार्तिक प्रसाद खत्री | ||
काशीनाथ खत्री | ||
रामकृष्ण वर्मा | ||
गोपीनाथ पाठक | ||
बालमुकुन्द गुप्त | ||
कृष्ण देवशरण सिंह | ||
श्रीधर पाठक |
आपको जिस व्यक्ति ने सर्वाधिक प्रभावित किया है, उसके व्यक्तित्व की विशेषताओं को लिखिए।
1. स्नेही- मेरी माँ बहुत स्नेही स्वभाव की हैं। वे सभी से स्नेह रखती हैं। इसी स्नेह के कारण मेरे मित्र उन्हें बहुत अच्छा मानते हैं।
2. हँसमुख- मेरी माँ बहुत हँसमुख स्वभाव की हैं। वे अपने इस स्वभाव के कारण कहीं भी जान डालने की क्षमता रखती हैं।
3. सत्यवादी तथा स्पष्टवादी- मेरी माँ सत्य बोलती हैं। वह अपनी बाद को घूमाने के स्थान पर सीधे-सीधे बोलने में विश्वास रखती हैं।
4. निडर- मेरी माँ निडर हैं। उन्हें किसी भी बात से डर नहीं लगता है। किसी भी परिस्थिति में वह निडरता से आगे बढ़ती हैं।
5. तीव्र बुद्धि- मेरी माँ की बुद्धि बहुत तीव्र हैं। वह अधिक पढ़ी-लिखी नहीं हैं मगर किसी बात को सीखने-समझने में समय नहीं लगता। तुरंत सब सीख जाती हैं।
1. आप प्रकृति का इतना सुंदर वर्णन कैसे करते हैं?
2. अपने मन में उठने वाले भावों का इतना सुंदर चित्रण कैसे दे पाते हैं?
3. कविता में इतना सटिक शब्द ‘शब्द विन्यास’ करना आपने किससे सीखा है?
ये सब बातें मैं पूछना चाहूँगी क्योंकि मैं उनकी कविताएँ पढ़कर हैरान रह जाती हूँ। उनका प्रकृति चित्रण शब्दों के रूप में इतना सजीव होता है कि आँखों में वे चित्र के रूप में उभर आते हैं। अपने भावों को वे इतने सुंदर तरीके से व्यक्त करते हैं कि मैं सोच में पड़ जाती हूँ। शब्दों का ऐसा विन्यास जो कविता को एक अनमोल कृति बना देता। मैं भी ऐसी ही कविता लिखना चाहती हूँ।
संस्मरण साहित्य क्या है? इसके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
1. महादेवी वर्मा- मेरा परिवार, पथ के साथी, स्मृति चित्र, संस्मरण
2. रामवृक्ष बेनीपुरी- पतितों के देश में, चिता के फूल